इस आर्टिकल में 15 से अधिक जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी (Motivational Stories in Hindi) लिखी गयी है| इस आर्टिकल में अच्छे अवसर की तलाश, शिक्षा की लकीर, आखरी प्रयास, शांति का असली मतलब जैसी बेहतरीन Short Motivational Stories in Hindi और Short Motivational Story in Hindi for Success लिखी गयी है।
यदि आप कोई विद्यार्थी है या कोई गृहस्थ व्यक्ति जो अपने जीवन में तरक्की पाना चाहता है तो आपको ये सभी जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी (Short Motivational Stories in Hindi) जरूर पढना चाहिए।
जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी List | Short Moral & Motivational Stories In Hindi For Kids, Student and Success
इस आर्टिकल में हम निम्नलिखित जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी बताने वाले है:
- अच्छे अवसर की तलाश
- शिक्षा की लकीर
- मुश्किल में चालाकी दिखाना
- पत्थर एक कीमत अनेक
- आखरी प्रयास – Motivational Stories in Hindi
- गुस्से का परिणाम
- सबसे बड़ा कौन
- छोटी सी समस्या का बड़ा हल
- दुनिया से हार गया लेकिन खुद से जीत गया
- ईमानदारी का मीठा फल
- सौ सुनार की एक लोहार की
- पतले रस्सी की कैद में हांथी
- शांति का असली मतलब
- अच्छा कहोगे तो अच्छा होगा
- ₹10 की आइस क्रीम ₹5 की टिप
बतायी जाने वाली सभी कहानियाँ जीवन की अच्छी नैतिक शिक्षाओं से भरपूर है (Short Moral Stories In Hindi) आशा है आपको कहानियाँ पसंद आएगी।
1. अच्छे अवसर की तलाश – जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी
Short Motivational Story in Hindi for Success: एक बार एक गांव में एक बहुत धनी किसान रहता था, जिसकी एक सुंदर बेटी थी। किसान एक योग्य व्यक्ति के साथ अपनी इकलौती बेटी का विवाह करना चाहता था। विवाह की बात सुनकर एक व्यक्ति इक्षुक हुआ और धनी किसान के पास आया और कहा “मैं आपकी बेटी से विवाह करना चाहता हूँ।” किसान ने कहा “मैं अपनी बेटी की शादी तुमसे करने के लिए तैयार हूं लेकिन उससे पहले तुम्हें एक परीक्षा देनी होगी।“
किसान ने कहा “मैं तुम्हारे सामने अपने तीन बैलों को एक एक करके छोडूंगा यदि तुमने तीनों बैल में से किसी एक की भी पूछ पकड़ कर उसे रोक दिया तब मैं अपनी बेटी की शादी तुम्हारे साथ कर दूंगा।“
शादी करने के लिए आया व्यक्ति ने जोश में कहा “ठीक है मैं आपके इस शर्त को पूरा करने के लिए तैयार हूं” वह मैदान में बैल की पूंछ को पकड़ने के लिए पोजीशन बना कर खड़ा हो गया।
किसान ने अपना सबसे पहला बैल उस व्यक्ति के सामने छोड़ दिया, बैल व्यक्ति के सामने बहुत तेजी से आ रहा था| पहला बैल को देखकर व्यक्ति ने सोचा “यह बेल थोड़ा गुस्से वाला है इसलिए मैं इसको जाने देता हूं मैं अगले वाले को पकड़ लूंगा अभी तो 2 और बैल बाकि है।“
अब किसान अपना दूसरा बैल को व्यक्ति के सामने छोड़ता है यह बैल पहली वाली बेल से भी आकार मे बड़ा और गुस्सैल था जो तेजी से दौड़ते हुए व्यक्ति के सामने आ रहा था| दुसरे बैल को भी देखकर व्यक्ति ने सोचा “अरे यह तो पहले वाली से भी ज्यादा बड़ी है और गुस्सैल लग रही है मैं इसे जाने देता हु अभी एक और बैल बाकी है” और वह बैल को देखकर बगल हट गया|
अब अंत में किसान अपने तीसरे बैल को उस व्यक्ति के सामने छोड देता है, यह बैल आकार में पिछले दोनों बैलों से छोटा था और वह काफी सुस्त भी दिखाई पड़ रहा था यह देखकर शादी करने के लिए आया व्यक्ति काफी उत्साहित हुआ और बैल की पूंछ पकड़ने के लिए पोजीशन बना कर खड़ा हो गया।
जैसे ही बैल व्यक्ति के पास आया तब उस व्यक्ति ने देखा कि इस तीसरे बैल की पूंछ ही नहीं है। अतः वह तीनों में से किसी भी बैल की पूंछ को पकड़ नहीं पाया और उसकी शादी उस धनी किसान की सुंदर बेटी से नहीं हो पायी।
शिक्षा
यह काफी जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी (Motivational Stories in Hindi) है जिसमे व्यक्ति के जीवन में अवसरों की महत्व के बारे में सिक्षा देता है| व्यक्ति का जीवन अवसरों से भरा हुआ होता है यदि वह व्यक्ति हमेशा ही आसान अवसरों की तलाश में रहता है व कभी भी कुछ कठिन कार्य करने की कोशिश नहीं करता तब वह अपने सभी अवसरों से हाथ धो बैठता है एवं जिंदगी में असफल रह जाता है।
आशा करते है यह Short Motivational Story in Hindi आपको अच्छी लगी होगी आगे और भी कई सारी Motivational Kahani in Hindi है।
2. शिक्षा की लकीर – जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी
यह जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी विशेष रूप से क्षात्रों के लिए है (Motivational Story for Students in Hindi) इस कहानी में एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बतायी गयी है जिसने अपने सिक्षा का जूनून के कारन आपनी हाँथ की लकीरे बदल दी.
Motivational Story for Students in Hindi: बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में एक गुरुकुल था जहां पर देश के कई राज्यों से बच्चे शिक्षा ग्रहण करने आते थे।
गुरुकुल में छात्रों को हर एक विषय के बारे में बहुत सूक्ष्म तरीके से एवं सरल शब्दों में शिक्षा दी जाती थी जिससे हर एक छात्रा जटिल से जटिल विषयों को अच्छे से समझ सके एवं जानकारी प्राप्त कर सके।
एक बार उस गुरुकुल में सामान्य छात्रों की ही तरह एक छात्र शिक्षा ग्रहण करने आया| वह छात्र किसी भी चीज को बहुत जल्दी समझ नहीं पाता था उसे चीजों को समझने में काफी समस्या होती थी। वह छात्र काफी समय तक गुरुकुल में रहा एवं गुरु के द्वारा दी जाने वाली शिक्षा ग्रहण करने लगा।
काफी कोशिश करने के बाद भी वह गुरु जी के द्वारा बताए जाने वाले जानकारी को समझ नहीं पाता था।
वह छात्र अन्य सभी छात्रों की तुलना में काफी पीछे था और अन्य छात्र जिन चीजों की शिक्षा प्राप्त कर चुके थे वह छात्र उन चीजों को समझने की कोशिश ही कर रहा था लेकिन फिर भी वह समझ नहीं पाता था।
काफी समय बीतने पर भी उस छात्र को गुरुदेव के द्वारा दी जाने वाली सिक्षा ग्रहण करने में मुस्किल हो रही थी तब एक दिन अन्य सभी छात्रों के समक्ष उस विशेष क्षात्र को बुलाया और उन्होंने उस छात्र को अपना हाथ दिखाने के लिए कहा।
छात्र ने अपना हाथ दिखाया, हाथ देखते ही गुरुदेव ने उस छात्र से कहा “तुम्हारे हाथों में बचपन से ही शिक्षा की लकीरें नहीं है, अर्थात तुम कभी भी शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकते।” यह बात बताते हुए गुरुदेव ने अपने अन्य शिष्य की हाथों की लकीरें भी उस छात्र को दिखाई।
जैसे ही उस विशेष छात्र ने अपने हांथो की लकीरे अपनी सहपाठी छात्रों की तुलना में भिन्न देखी उसी क्षण उस छात्र ने एक चाकू लेकर गुरुजी के समक्ष अपने हाथों में गहरी सिक्षा की लकीरें बना डाली और गुरुदेव से कहा “देखिए गुरुदेव अब मैंने खुद से ही अपने हाथों में शिक्षा की लकीरे बना ली है।”
उस छात्र का हाथ पूरी तरह से खून से भर गया था यह दृश्य देखकर गुरुदेव ने उस कमजोर छात्र को अपने सीने से लगाया और कहा “तुम्हारे जैसा छात्र कभी भी शिक्षा ग्रहण करना तो क्या किसी भी लक्ष्य को पाने से वंचित नहीं रह सकता” आगे चलकर वह छात्र भारत के प्रसिद्ध महर्षि पाणिनि कहलाए।
महर्षि पाणिनि वही हैं जिन्होंने संस्कृत भाषा के सबसे बड़े व्याकरण की चार भागों में रचना की| उन्हें आज भी संस्कृत भाषा के सबसे बड़े व्याकरण के रचयिता तौर पर जाना जाता है।
शिक्षा
यह जबरदस्त मोटिवेशनल स्टोरी महर्षि पाणिनि के जीवन के एक खंड के ऊपर आधारित है। इस मोटिवेशनल कहानी को पढ़कर आप समझ पाए होंगे कि यदि कोई छात्र शिक्षा ग्रहण करना चाहता है तो वह अपनी दृढ निश्चय से किसी भी सिक्षा को ग्रहण कर सकता है भले ही वह अन्य क्षत्रों की तुलना में कमजोर क्यों न हो|
हमारे सामान्य जीवन में भी हमे अक्सर देखने को मिलते हैं कि कई ऐसे छात्र होते हैं जिन्हें स्कूलों में एक ही विषय को 10 बार बताने के बावजूद वह चीजे समझ नहीं आती लेकिन और इससे परेशान होकर वह क्षात्र आगे चलकर पढने से ही अपना इरादा बदल देता है| ऐसे क्षात्रों पर यदि माता पिता एवं शिक्षक थोडा ध्यान दे तो वह क्षात्र भी अपने क्लास में व पूरे स्कूल में भी श्रेष्ठ बन सकता है।
यह Motivational Story for Students in Hindi महर्षि पाणिनि के जीवन के एक खंड के ऊपर आधारित है आशा करते है इसे पढ़कर आप मोटीवेट हुए होंगे| आगे और भी कई Motivational Stories in Hindi लिखी गयी है बने रहिये हमारे साथ।
3. मुश्किल में चालाकी दिखाना -जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी
यह काफी छोटी सी मोटिवेशनल कहानी है, मुझे उम्मीद है यह Motivational Kahani in Hindi आपको पसंद आएगा।
एक बार एक बूढ़ा व्यक्ति होता है और उसकी एक खूबसूरत बेटी होती है, पिता और बेटी दोनों काफी गरीब होते हैं और काफी मेहनत करके अपना जीवन व्यतीत करते हैं। एक बार वह बूढ़ा व्यक्ति किसी जरूरी काम के लिए गांव के एक बड़े जमींदार से ब्याज पर पैसा उधार लेता है। आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण बूढा व्यक्ति जमींदार के पैसे समय पर लौटा नहीं पाता।
उधारी के पैसे समय पर ना मिलने पर वह जमींदार रोजाना ही उस बूढ़े व्यक्ति को पूरा पैसा देने के लिए तंग करने लगता है।
एक दिन वह जमींदार बूढ़े व्यक्ति से कहता है “मैं तुम्हारा पूरा कर्जा माफ कर दूंगा यदि तुम अपनी बेटी की शादी मुझसे कर दोगे।“
वह बूढ़ा व्यक्ति जैसे ही जमींदार और उसकी बेटी की शादी की बात सुनता है वह तुरंत ही मना कर देता है और जमींदार से कुछ और दिन की मोहलत मांगने लगता है।
बूढ़े व्यक्ति के द्वारा तुरंत ही शादी के लिए मना कर देने पर जमींदार बोलता है “या तो तुम मुझे अभी के अभी मेरे पूरे पैसे वापस कर दो या फिर तुम और मैं एक खेल खेलते हैं उससे तुम्हारा कर्ज माफ़ हो सकता है।“
बूढ़े व्यक्ति ने पूछा “कैसा खेल?”
जमींदार कहता है “खेल इस प्रकार का होगा कि मैं एक पोटली में काले और सफेद दो रंग के पत्थर डालूंगा, सभी गाँव वाले के सामने तुम्हारी बेटी उस पोटली में से एक पत्थर निकालेगी। यदि उस पोटली में से तुम्हारी बेटी ने सफेद पत्थर निकाला तो मैं तुम्हारा सारा कर्ज माफ कर दूंगा और तुम्हारी बेटी से शादी नहीं करूंगा, लेकिन पोटली में से काला पत्थर निकला तो तुम्हे अपनी बेटी की शादी मुझसे करानी होगी और फिर मैं तुम्हारा कर्ज भी माफ कर दूंगा।”
क्योंकि बूढ़ा व्यक्ति आर्थिक रूप से बहुत अधिक धनी नहीं होता है और वह इस स्थिति में भी नहीं होता है कि कुछ ही दिनों के अंदर उस जमींदार के सारे पैसे लौटा सके इसलिए वह इस तर्क को मान लेता है।
खेल को पूरे गांव और गांव के मुखिया के सामने खेला जाना था इसलिए जमींदार और बूढ़े व्यक्ति के किस्मत का खेल देखने के लिए काफी सारे लोग इकट्ठा हो गए।
जैसे ही खेल के लिए जमींदार पोटली में पत्थर डालता है वैसे ही बूढ़े व्यक्ति की बेटी छुप कर जमींदार को दोनों काले रंग के पत्थर डालते देख लेती है जिसका मतलब था कर्ज तो माफ़ होगा लेकिन शादी करनी होगी। जमींदार ने चालाकी दिखाने के लिए सफ़ेद पत्थर नहीं डाला था।
जैसे ही बूढ़े व्यक्ति की बेटी जमींदार को दोनों काले रंग के पत्थर डालते देख लेती है तुरंत ही वह एक योजना बनाती है और जमींदार को सबक सिखाने की सोचती है।
खेल खेलने के लिए जमींदार और बूढ़े व्यक्ति की बेटी को सभी लोगों के बीच में बुलाया जाता हैं और पोटली लड़की को दे दी जाती है।
गांव का मुखिया कहता है “बेटी पोटली में से पत्थर एक पत्थर निकालो“
लड़की जैसे ही पोटली में से पत्थर निकालती है वैसे ही वह चालाकी से अपने हाथ से पत्थर नीचे जमीन पर गिरा देती है जहां पर उसी तरह के काले और सफेद रंग के कई सारे पत्थर होते हैं।
पूरा गांव देखता है की पहला पत्थर तो निचे जमीन पर गिर गया है जहां पर और भी बहुत सारे काले और सफेद रंग के पत्थर है।
पत्थर को चालाकी से गिराते ही लड़की मुखिया और गांव वालों को कहती है “पोटली का पहला पत्थर गलती से मेरे हाथों नीचे गिर गया, लेकिन कोई बात नहीं इस पोटली में काले और सफेद रंग के पत्थर डाले गए थे।
मैं इस पोटली से दूसरा पत्थर निकालती हूं, अबकि बार यदि इस पोटली में से काले रंग का पत्थर निकला तो मैं समझ लूंगी पहला पत्थर सफेद रंग का निकला था और यदि इस पोटली में से सफेद पत्थर निकला तो मै समझ लुंगी की पहला पत्थर काले रंग का पत्थर था।”
लड़की की यह बातें सुनकर वह जमींदार तुरंत ही समझ जाता है की उसका पाषा तो उल्टा पड़ गया लेकिन खेल गांव के मुखिया समेत पूरा गांव वालों के सामने खेला जा रहा था इसलिए सभी लोगों ने लड़की की बात को सही कहा और लड़की को पोटली से दूसरा पत्थर निकालने को कहा गया।
जैसे ही उस बूढ़े व्यक्ति की बेटी ने पोटली में से दूसरा पत्थर निकाला वह काले रंग का था यह देखते ही सभी गांव वालों ने और मुखिया ने कहा की “तुमने पहला पत्थर सफ़ेद रंग का ही निकाला था अर्थात अब इस जमींदार को तुम्हारे पिता का सारा कर्ज माफ करना होगा और यह अब तुमसे शादी भी नहीं करेगा।
ठीक ऐसा ही होता है, जमींदार उस वक्त अपने ही जाल में फंस जाता है और उसे गांव वालों की बातें माननी पड़ती है और वह बूढ़े व्यक्ति का सारा कर्ज माफ़ कर देता है।
शिक्षा
यदि आप समय रहते अपनी चालाकी का सही उपयोग करते हैं तो वह आपको भारी से भारी मुसीबतों से बचा सकती है। हमेशा ही हर काम में चालाकी दिखाना गलत बात होता है लेकिन मुसीबत में यदि सच्चे काम के लिए चला की दिखाई जाए तो वह सच में आपको बड़ी से बड़ी मुसीबतों से बचा सकती है।
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4. पत्थर एक कीमत अनेक | Short Motivational Story in Hindi for Success
यह जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी बहुत प्रसिद्ध है शायद आपने इसे पहले भी कभी जरूर सुना होगा| यह Short Motivational Story in Hindi for Success है जिससे आपको समझ आएगा की व्यक्ति का मूल्य किस स्थान पर कितना होता है.
Motivational Kahani in Hindi: एक बार एक लड़का अपने पिता से पूछता है कि पिताजी “मेरा इस दुनिया में क्या कीमत है?” पिता उस लड़के को इस सवाल के बारे में बिना कुछ जवाब दिए उसे एक चमकीला पत्थर देकर कहते हैं “बेटा तुम इस पत्थर को लेकर सामान्य बाजार जाओ और यदि कोई व्यक्ति तुमसे इस पत्थर को खरीदना चाहे या इसका कीमत पूछना चाहे तब तुम उसे केवल 5 उंगलियां दिखा देना और वे लोग जो भी कीमत इस पत्थर की देना चाहे वह तुम मुझे आकर बताना।”
लड़का सबसे पहले सामान्य बाजार जाता है और पत्थर लेकर खड़ा हो जाता है वहां से कई लोग गुजरते हैं और लड़के से उस पत्थर की कीमत पूछते हैं। कीमत पूछे जाने पर वह लड़का बिना कोई जवाब दिए केवल 5 उंगलियां दिखाकर खड़ा रहता है।
पांच उंगलियां देखने पर लोग चमकीले पत्थर की कीमत ₹500 व कुछ लोग ₹5 हज़ार तक कहते हैं और लोग उस पत्थर को ₹5 हज़ार तक में खरीदने को तैयार हो जाते हैं।
लड़का यह बात आकर अपने पिता से कहता है। अब लड़के के पिता जी उससे एक अमीर लोगों की सोसाइटी के बाहर एक अच्छा सा स्टाल लगाकर खड़ा होने को कहते हैं।
लड़का अब इस बार एक अमीर लोगों की सोसाइटी के बाहर अच्छा सा स्टाल लगाकर वहां पत्थर के साथ खड़ा हो जाता है सोसाइटी में आने जाने वाले लोग लड़के से पत्थर की कीमत पूछते हैं| लड़का इस बार भी कोई जवाब नहीं देता और कीमत पूछे जाने पांच उंगलियां दिखा देता है।
सोसाइटी में आने जाने वाले लोग उस लड़के से कहते हैं क्या तुम यह पत्थर ₹50 हज़ार में बेच रहे हो? लड़का कोई भी जवाब नहीं देता और घर आ जाता है और सारी बातें अपने पिता से कहता है।
लड़के का पिता अब आखरी बार कहते हैं बेटा अब तुम इस चमकीले पत्थर को लेकर पुराने पत्थर बेचने वाले दुकान के पास जाओ और वहां इस पत्थर को लेकर खड़े रहना।
लड़का ठीक वैसा ही करता है और उस चमकीले पत्थर को ले जाकर पुराने पत्थर बेचने वाले दुकान के सामने खड़ा हो जाता है। कुछ देर बाद उस पुराने पत्थर बेचने वाले दुकान से एक वृद्ध व्यक्ति बाहर आता है और उस लड़के के हाथ में वह चमकीला पत्थर देखकर बहुत आश्चर्यचकित हो जाता है| वह वृद्ध व्यक्ति लड़का से कहते है “यह पत्थर तुम्हें कहां से मिला? क्या तुम इस पत्थर को बेचना चाहते हो? इस पत्थर की क्या कीमत है बताओ?”
लड़का उस वृद्ध व्यक्ति को भी किसी भी प्रकार का कोई जवाब नहीं बताता बस केवल 5 उंगलियां दिखाकर शांत रहता है वह वृद्ध व्यक्ति कहते है “अच्छा तुम इस पत्थर को ₹5 लाख में बेचना चाहते हो ठीक है? ठीक है मैं इस पत्थर को तुमसे खरीदने के लिए तैयार हूं।”
लड़का फिर से घर वापस आ जाता है और अपने पिता से कहता है पिताजी पुराने पत्थर बेचने वाले दुकानदार ने इस पत्थर को ₹5 लाख में खरीदने की बात कही है यह बात सुनकर लड़के का पिता उस लड़के से कहते हैं “देखा तुमने, इस पत्थर की कीमत ₹500 से लेकर ₹5 लाख हो गई। तुमने मुझसे प्रश्न किया था कि तुम्हारा इस दुनिया में क्या कीमत है?”
इस बात का जवाब देते हुए लड़के के पिता ने कहा कि “तुम्हारा इस दुनिया में कोई भी कीमत निर्धारित नहीं कर सकता| यदि तुम अपने आप को अन्य सामान्य व्यक्तियों के काबिल बनाते हो तब तुम्हारी कीमत भी उन्हीं सभी सामान्य व्यक्तियों के जितनी होगी और यदि तुम अपने आपको मेहनत करके विशेष बनाते हो तब तुम्हारी कीमत उसी पत्थर की तरह ₹500 से ₹5 लाख तक हो सकती है अर्थात तुम्हारी कीमत बहुत अधिक होगी।”
शिक्षा
यह Short Motivational Story in Hindi for Success छोटी सी है लेकिन इसमें बहुत गहराई है| यदि आप भी अपने जीवन में एक मूल्यवान व्यक्ति बनना चाहते है तो आपको ऐसे लोगों के साथ अपना मुकाम हासिल करना होगा जहा आपका मूल्य बढे|
यदि आप सामान्य लोगों की तरह कोई काम करेंगे व जीवन व्यतीत करेंगे तो आपकी जिंदगी भी उन्ही सामान्य लोगों के भाँती होगी| यदि आप अपने आपको मूल्यवान व्यक्ति बनाना चाहते है तो जरुरी है की आप अपने आपको सामान्य भीड़ से अलग बनाये|
आगे और भी कई Motivational Stories in Hindi लिखी गयी है आशा है आपको यह Short Motivational Story in Hindi for Success से कुछ सीख मिली होगी।
5. आखरी प्रयास – जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी
दोस्तों यह एक बहुत ही अच्छी मोटिवेशनल कहानी छोटी सी है जिससे आप समझ पाएंगे की क्यों आपको हमेशा लक्ष्य को प्राप्त करने तक मेहनत करनी चाहिए। आगे और भी कई सारी Motivational Stories in Hindi है .
Motivational Short Story in Hindi: एक बार एक राजा था जिसने अपनी सूझबूझ से अपने राज्य को बहुत सुंदर बनाया था जिसको देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते थे।
एक बार विदेश से एक पर्यटक राजा के राज्य को देखने के लिए आया पर्यटक को राज्य बहुत ही खूबसूरत लगा, पर्यटक ने राज्य की सैर करने के बाद, राजा से मिलने की प्रार्थना की। राजा ने पर्यटक को महल में बुलाया|
महल में राजा से मिलने के बाद पर्यटक ने राजा के राज्य की खूबसूरती की एवं राजा की खूब तारीफ की। पर्यटक ने कहा “महाराज आपका राज्य बहुत ही खूबसूरत है जिसे आपने अपनी सूझबूझ से इतना सुंदर बनाया है मैं भी अपने देश से एक खूबसूरत उपहार आपके लिए लाया हूं” यह कहकर उस पर्यटक ने राजा को बहुत ही खूबसूरत पत्थर उपहार के रूप में दिया।
राजा ने उस पत्थर को देखा, वह पत्थर इतना खूबसूरत था कि राजा ने उस पर्यटक की खूब तारीफें की और अपने देश का पत्थर उन्हें उपहार के रूप में देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद किया।
खूबसूरत पत्थर होने के कारण राजा ने यह निर्णय किया कि इस पत्थर से वह भगवान श्री विष्णु की मूर्ति बनवायेंगे और अपने महल के मंदिर में स्थापित करेंगे।
राजा ने खुबसूरत पत्थर खुबसूरत मूर्ति बनवाने के लिए मुख्यमंत्री को आदेश दिया और कहा “इस पत्थर की एक बेहद खूबसूरत भगवान श्री विष्णु की प्रतिमा को बनाकर उनके राजमहल के मंदिर में स्थापित कर दिया जाए।” साथ ही राजा ने मुख्यमंत्री से यह भी कहा की “जो भी व्यक्ति 7 दिन के अंदर, इस सुंदर पत्थर से भगवान श्री विष्णु की खूबसूरत प्रतिमा बनाएगा हम उसे 500 स्वर्ण मुद्राएं देंगे।“
मंत्री ने राजा का आदेश पालन करने के लिए अपने राज्य के सबसे बड़े एवं विख्यात मूर्तिकार को बुलाया और खूबसूरत पत्थर देकर भगवान श्री विष्णु की खूबसूरत मूर्ति को बनाने के लिए आग्रह किया| मंत्री ने विख्यात मूर्तिकार से कहा “यदि आप इस पत्थर को 7 दिवस के अंदर भगवान श्री विष्णु की खूबसूरत प्रतिमा में बदल देंगे तब राजा स्वयं आपको 500 स्वर्ण मुद्राएं देंगे।“
500 स्वर्ण मुद्राएं भेंट के रूप में पाने की बात सुनकर मूर्तिकार बहुत उत्साहित हुआ और पूरे लगन से उसने अपना काम करने के लिए सोचा। मूर्तिकार ने पत्थर को मूर्ति में परिवर्तित करने के लिए छैनी और हथोड़ा लिया और अपना काम शुरू किया।
कुछ ही समय के बाद मूर्तिकार यह देखता है कि कई बार हथौड़े से प्रहार करने के बावजूद पत्थर टूटने का नाम ही नहीं ले रहा है। फिर भी वह मूर्तिकार और भी ज्यादा सतर्क होकर पत्थर पर सैकड़ों बार हथौड़े से प्रहार करता है 1000 बार प्रहार करने के बाद भी पत्थर का एक टुकड़ा भी नहीं टूटता तब विख्यात मूर्तिकार सोचता है की “अब इस पत्थर पर हथोडा मरना बेकार है क्योंकि 1000 बार प्रहार से भी यह नहीं टुटा तो क्या 1 और प्रहार से यह टूट जायेगा।“
अंत में विख्यात मूर्तिकार हार मानकर मुख्यमंत्री के पास जाता है और कहता है “मंत्री जी यह पत्थर तो बहुत विशेष प्रकार का है मैंने इस पत्थर पर हजार बार छैनी और हथौड़े से प्रहार किए लेकिन यह पत्थर किसी भी भाग से तनिक भी नहीं टुटा अतः अब मैं इस पत्थर से मूर्ति नहीं बना पाऊंगा मुझे क्षमा कर दीजिए।“
क्योंकि महाराज ने 7 दिनों के भीतर पत्थर से भगवान श्री विष्णु के मूर्ति बनाने का आदेश दिया था जिसमे अब केवल एक ही दिन बाकी था इसीलिए वह मंत्री जल्दी से एक मामूली मूर्तिकार के पास जाता है और अपने सामने ही उस पत्थर से मूर्ति को बनाने के लिए आग्रह करता है।
मामूली मूर्तिकार मंत्री से सारी बातें समझता है उसके बाद अपना छैनी और हथोड़ा लेकर पत्थर पर केवल एक प्रहार करता है और उस पत्थर से बेहद खूबसूरत भगवान श्री विष्णु की प्रतिमा बन जाती है।
यह देख कर मंत्री बहुत ही ज्यादा हैरान होता है और मन में सोचने लगता है कि “यदि विख्यात मूर्तिकार आखरी प्रयास कर लेता तो वह 500 स्वर्ण मुद्राओं का हकदार बन जाता परंतु अब 500 स्वर्ण मुद्राओं का हकदारयह साधारण मूर्तिकार है।”
शिक्षा
साथियों कई बार हमारे जीवन में कुछ ऐसे कार्य आते हैं जिसको देखकर हमें पहले ही लगने लगता है कि यह कार्य तो पूरा करना असंभव है| इस विचार के बाद यदि हम उस कार्य को करने की कोशिश करते हैं और काफी दूरी तक वह कार्य सफल भी कर लेते हैं तब भी पहले ही आत्मविश्वास का डगमगा जाने के कारण हम कार्य के अंत तक पहुँचने से पहले ही हार मान कर बैठ जाते हैं जिससे हमारे हाथ में आई हुई सफलता भी हमारी नहीं हो पाती है।
अतः हमेशा जीवन में किसी भी कार्य का लक्ष्य यदि साफ साफ दिखाई दे तो उस कार्य को पूरा करे बगैर हार नहीं माननी चाहिए क्योंकि सफलता की 99 सीढ़ी के चढ़ने के बाद यदि हार मान लिया जाए तो व्यक्ति का पूरा जीवन असफल हो जाता है वहीं यदि एक कदम भी और बढ़ा लिया जाए तो जिंदगी सफल हो सकती है|
इस Short Motivational Stories in Hindi for Success को पढ़ कर आप समझे होंगे की क्यों आपको कभी भी किसी महत्वपूर्ण कार्य को अधुरा नहीं छोड़ना चाहिए।
6. गुस्से का परिणाम – जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी
यह एक इमोशनल और मोटिवेशनल कहानी है। यह Short Motivational Story in Hindi विशेष रूप से छोटे बच्चे एवं किशोरावस्था के बच्चे के लिए है जिन्हें अक्सर छोटी छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है।
Short Moral Stories In Hindi: एक बार एक माता-पिता का एक इकलौता बेटा होता, माता पिता अपने बच्चे के से बहुत प्यार करते है और अपने बच्चे को लेकर शहर में रहते है।
शहर में रहते रहते उनका बच्चा बहुत गुस्सैल हो जाता है उसे हर एक छोटी से छोटी नापसंद चीजों के बारे में बहुत गुस्सा आता है। अपना गुस्सा के कारण बच्चा अपने मम्मी पापा के ऊपर चिल्लाता है और घर में सामान को इधर उधर फेंकने लगता है। बच्चे की ऐसी स्थिति देखकर माता-पिता बच्चे को लेकर अपने गांव में चले जाते हैं।
बच्चा अपना दादा और दादी से बहुत प्यार करता है इसलिए वह अपने दादा और दादी से मिलकर बहुत खुश हो जाता है। माता पिता बच्चे का गुस्सैल स्वभाव के बारे में एवं उसके व्यवहार के बारे में सब कुछ अपने माता पिता को बताते है।
बच्चे का दादाजी काफी समझदार होते हैं और वह सभी बातों को सुनकर अपने पोते का गुस्सैल स्वभाव और चिड़चिड़ापन स्वभाव को दूर करने की सोचते हैं।
1 दिन बच्चे का दादाजी अपने पोते को पास में बुलाकर कहते हैं “बेटा चलो आज से हम दोनों एक खेल खेलते हैं। यह खेल कुछ घंटों के लिए नहीं बल्कि काफी दिनों के लिए होगा। इसलिए यदि तुम यह खेल जीत जाओगे तब मैं तुम्हें बहुत बड़ा चॉकलेट का पैकेट इनाम दूंगा।“
बच्चा कहता है “ठीक है दादा जी बताइए क्या खेल खेलना है?“
दादा जी अपने पोते को घर से कुछ कदम की दूरी पर एक पेड़ के पास ले जाते हैं कहते हैं “बेटा खेल यह है कि आज से तुम्हें जिस भी दिन गुस्सा आए उसी समय, तुम इस पेड़ के पास आना और एक कील ठोक देना“
बच्चा कहता है “ठीक है दादाजी” और उसके बाद बच्चा दिन में जब भी गुस्सा करता है उसी समय एक कील लेकर उस पेड़ के पास ठोक देता है।
पहला दिन होता है इसीलिए उस बच्चे को जब भी गुस्सा आता है वह उस पेड़ पर काफी सारे कील जाता है। क्योंकि जब भी गुस्सा आये तब उसे घर से दूर जाकर कील ठोकना होता था इसीलिए अगले दिन वह बच्चा सोचता है की “जब भी मैं गुस्सा करूंगा तब मुझे इतनी दूर जाकर कील ठोकना होगा इसीलिए अब से मैं थोड़ा कम गुस्सा करूंगा जिससे मुझे कम कीलें ठोकनी पड़े।“
पहले दिन और दूसरे दिन वह बच्चा पेड़ में काफी सारी कीलें ठोक देता है पर तीसरे दिन वह बच्चा काफी कम कील ठोकता है। उसके अगले दिन और कम कील ठोकता है और धीर धीरे संख्या घटती जाती है।
जब यह काम करते करते 12 दिन बीत जाता हैं तब वह बच्चा अपने दादाजी के पास जाकर कहता है “दादा जी आज मुझे पूरे दिन में एक बार गुस्सा आया इसलिए आज मैंने एक ही कील ठोका।“
अब उस बच्चे का दादा जी कहते हैं “बहुत बढ़िया बेटा अब इस खेल का अगला स्टेज यह है कि तुम्हें अब से जिस भी दिन बिल्कुल गुस्सा ना आए उस दिन पेड़ के पास ठोके गए कील में से एक कील निकाल देना।”
बच्चा बोलता है “ठीक है दादाजी।“
अब जैसे-जैसे दिन बीतता है वैसे वैसे बच्चे को जिस दिन गुस्सा नहीं आता है उस दिन वह पेड़ के पास जाकर एक कील निकाल देता है|
ऐसा करते करते जब वह बच्चा पेड़ के पास से सभी कीलें निकाल देता है तब वह जाकर अपने दादाजी से कहता है “दादाजी आज पेड़ के पास आखिरी कील लगा हुआ था वह भी आज मैंने निकाल दिया।”
इसके बाद दादाजी बच्चे को बोलते हैं “बहुत बढ़िया शाबाश” और उस बच्चे को एक बड़ा सा चॉकलेट का पैकेट लाकर इनाम देते हैं वह बच्चा बहुत खुश हो जाता है और बच्चा दादाजी को धन्यवाद कहता है।
इसके बाद दादाजी उस बच्चे को उसी पेड़ के पास लेकर जाते है और कहते है “अच्छा यह बताओ तुमने जिस जगह पर से कील निकाले हैं वहां तुम्हें कुछ दिखाई दे रहा है?“
वह छोटा बच्चा बोलता है “नहीं दादा जी कुछ नहीं दिखाई दे रहा“
इसके बाद दादा जी बोलते हैं “ध्यान से देखो कोई निशान दिखाई दे रहा है।”
उसके बाद वह बच्चा बोलता है “हां दादा जी मैंने जो कील गाढ़े थे और जिस से निकाल दिए उसका निशान दिखाई दे रहा है“
उसके बाद उस बच्चे का दादा जी कहते हैं “हां सही कहा तुमने यहां कील के निशान दिखाई दे रहे हैं“
आगे उसके दादाजी बोलते हैं “जिस प्रकार तुमने इस पेड़ के पास कील गाड़े और उसे कुछ दिनों बाद निकाल दिए जिसके वजह से वहां जगह कील का निशान पड़ गया।
ठीक उसी प्रकार जब भी तुम अपने मम्मी पापा पर गुस्सा करते हो तब तुम उस कील की तरह उसनके दिल को चोट पहुंचाते हो।
गुस्सा करने के बाद यदि तुम उनसे माफी भी मांग लो तब भी तुम्हारे गुस्से का चोट उनके दिलों में रह जाता है वह कभी गायब नहीं होता।“
दादाजी के इन बातों को सुनकर वह छोटा सा बच्चा काफी दुखी होता है और दादाजी के द्वारा कहे गए बातों को अपने मन में गांठ बांधकर याद रखता है| इसके बाद वह बच्चा कभी भी अपने मम्मी पापा पर गुस्सा नहीं करता।
शिक्षा
अक्सर छोटे-छोटे बच्चे खासकर किशोरावस्था के युवा बच्चे अपने माता-पिता से गुस्सा करते हैं, ऊंची आवाज में बात करते हैं जो उनके माता पिता के दिलों को ठेस पहुंचाती है।
यदि जाने अनजाने में भी कोई बच्चा अथवा युवा अपने माता-पिता पर गुस्सा करता है तब वह गुस्सा उनके दिलों में चुभता है यदि उस गुस्से का माफी भी मांग ली जाए तब भी वह उस हुस्से का छाप उनके दिलों पर रह जाती है।
आशा है यह Motivational Story for Students in Hindi और इस आर्टिकल की बाकी Motivational Stories in Hindi पसंद आ रही होगी, आगे और भी जबरदस्त Motivational Kahani in Hindi लिखी गयी है पढ़ते रहिये।
7. सबसे बड़ा कौन | Short Motivational Story in Hindi for Success
इस Short Motivational Stories in Hindi को पढ़कर आप समझ पाएंगे की क्यों हर एक व्यक्ति अपने कार्य में श्रेष्ठ होता है व क्यों हमे किसी भी चीज का तुलना खुद से नहीं करना चाहिए. जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी छोटी सी .
Short Motivational Story in Hindi for Success: एक पत्थर तोड़ने वाला व्यक्ति होता है जो पहाड़ के पत्थरों को तोड़ता था जिससे बाद उसे जो मजदूरी मिलती थी उसी से उसका जीवन और रोजी-रोटी चलता था।
एक दिन वह व्यक्ति सामान्य दिनों की तरह ही काम पर गया, पत्थर तोड़ा और अपना मजदूरी लेकर घर लौटने लगा।
घर लौटते हुए रास्ते में पहाड़ तोड़ने वाले व्यक्ति ने सोचा कि “मेरी कैसी जिंदगी है? मैं रोजाना पहाड़ तोड़ता हूं, मजदूरी करता हूं, थोड़े बहुत जो पैसे मिलते हैं उससे अपना जीवन व्यतीत करता हूं और वापस से अगले दिन इसी काम में लग जाता हूं। काश ऐसा होता कि मैं बहुत बड़ा आदमी बन जाता तो मेरी जिंदगी खुशियों से भर जाती।”
यह सोचते हुए व्यक्ति अपने घर को आ जाता है और खाना पीना खाकर आराम करने लगती है साथ ही अपने बड़े होने की बात सोचने लगता। सोचते सोचते उस व्यक्ति को नींद आ जाती है और वह सो जाता है।
जैसे ही वह व्यक्ति नींद में जाता हा उसे सपने दिखने लगते है, सपने में वह व्यक्ति देखता है कि उसके सामने एक बहुत बड़ा सा बंगला है जिसमें सैकड़ों की संख्या में नौकर काम कर रहे हैं।
बड़ा सा बंगला को अपना सपना में देख कर वह व्यक्ति सोचने लगता है कि “काश इस बंगलो का मालिक मैं बन जाऊं” जैसे ही वह व्यक्ति बंगलो को देखकर उसका मालिक बन्ने की इक्षा करता है तुरंत ही वह वह व्यक्ति उस बंगलो का मालिक बन जाता है। यह देखकर व्यक्ति बहुत ज्यादा खुश होता है बंगले का मालिक बन कर सोचता है अब मैं बहुत बड़ा आदमी बन गया हूँ|
इतने में उस व्यक्ति को बंगलो के बाहर से कुछ सोर आती हुई सुनाई देती है। सोर का कारण जानने के लिए जब वह व्यक्ति बंगलो से बाहर आता है तब वह देखता है कि उसके बंगलो के सामने से एक बहुत बड़े राजनेता अपनी रैली लेकर जा रहे है, रैली में वह राजनेता हजारों लोगों के बीच में खड़ा है और वह अपने हाथ को हवा में लहरा रहा है जिसे देख हजारों की संख्या में व्यक्ति जोर जोर से नारे लगा रहे हैं और उसे सम्मान दे रहे हैं।
राजनेता को देखकर वह व्यक्ति अपने मन में सोचने लगता है कि इस राजनेता के सामने मैं तो बिल्कुल ही मामूली सा व्यक्ति हूं इतने में व्यक्ति सोचता है काश मैं भी एक राजनेता बन जाऊं।
उस व्यक्ति के सोचने मात्र से ही वह तुरंत राजनेता बन जाता है जिसके पीछे हजारों की संख्या में लोग होते हैं और लोग उसका नाम का नारा लगा रहे होते हैं यह देखकर व्यक्ति बहुत खुश होता है।
राजनेता बनने के कारण व्यक्ति रैली में होता है| बीच सड़क से रैली जाने के कारण उसे बहुत तेज धूप लगती है और धूप लगने के कारण उसे बहुत ज्यादा पसीना आता है और वह व्यक्ति पसीना से तरबतर हो जाता है।
इतने में वह व्यक्ति सोचने लगता है कि इस राजनेता से भी बड़ा तो सूरज है, जिसका कोई राजनेता भी कुछ बिगाड़ नहीं सकता। अब वह व्यक्ति सोचने लगता है की “काश मैं सूरज बन जाऊं” और वह व्यक्ति तुरंत ही सूरज बन जाता है।
सूरज बनते ही वह व्यक्ति अपने आप को सबसे बड़ा मानने लगता है क्योंकि पूरी दुनिया को वह अपनी रोशनी दे रहा होता है और यदि वह रौशनी ना दें तो पूरी दुनियां में अँधेरा छा जाता है|
जब व्यक्ति सूरज बनके पूरी दुनिया को देख रहा होता तब थोड़ी ही देर में उसके सामने बहुत सारा बादलों का झुंड आ जाता है जिसके कारण उसकी रोशनी जमीन तक नहीं जा पाती। अब वह व्यक्ति सोचने लगता है कि “सूरत से भी बड़ा तो बादल है क्योंकि इसने सूरज की रोशनी को भी रोक दिया काश मैं बादल बन जाऊं।“
व्यक्ति जब बादल बनने की सोचता है तो उसके तुरंत वह बादल भी बन जाता है।
बादल बनने के बाद वह व्यक्ति सोचने लगता है “अब मैं सबसे बड़ा हूं” बादल बनने के कुछ देर बाद ही उस व्यक्ति के आसपास बहुत बड़ा तूफान आ जाता है जिससे सभी बादल कुछ ही देर में इधर से उधर बिछड़ जाते हैं।
यह घटना देखने के बाद वह व्यक्ति सोचने लगता है “बादल से भी बड़ा तो यह हवा है, क्योंकि इसके झोंके से बादल भी नहीं टिक पाया। अब वह व्यक्ति सोचने लगता है कि काश मैं हवा बन जाऊं।
जैसे ही वह व्यक्ति हवा बनने की सोचता है वह तुरंत हवा बन जाता है। हवा बनने के बाद अब वह अपने आप को सबसे बड़ा और सबसे ताकतवर मानने लगता है, क्योंकि अब उसे कोई छू तक नहीं सकता और वह कुछ ही देर में कही से किसी भी जगह पहुंच सकता है।
हवा बनने के बाद वह व्यक्ति अपने आप को बहुत बड़ा मान रहा होता है और बहुत खुश भी हो रहा होता है इतने में कुछ देर बाद हवा में उड़ते उड़ते वह व्यक्ति देखता है की तूफान का एक बहुत बड़ा झोंका पहाड़ की तरफ बढ़ रहा है लेकिन वह पहाड़ को रत्ती भर भी हिला पा रहा।
तूफान और पहाड़ का यह दृश्य देखकर व्यक्ति सोचना लगता है की “तूफान से भी बड़ा तो यह पहाड़ है। क्योंकि इतना बड़ा तूफान का झोंका पहाड़ को रत्ती भर भी हिला नहीं सका” अब वह व्यक्ति इच्छा करता है कि काश में पहाड़ बन जाऊं।
व्यक्ति जैसे ही पहाड़ बनने के बारे में सोचता है वह तुरंत पहाड़ बन जाता है, पहाड़ बन्ने के बाद अब वह व्यक्ति सोचने लगता है की अब इस दुनिया में मुझसे बड़ा कोई नहीं है। इतने में ही कुछ समय बाद उसे कुछ-कुछ ऐसा एहसास होने लगता है कि उसके शरीर के भाग को कोई काट रहा है।
जब पहाड़ बना व्यक्ति को यह एहसास होता है कि उसके शरीर के अंग को कोई तकलीफ पहुंचा रहा है तब वह अपनी नजरें घुमा कर देखता है तो कई सारे इंसान पहाड़ के पास है जो और वह पहाड़ के पत्थर को अपने छैनी और हथोड़ा से तोड़ रहे हैं।
जैसे-जैसे वह इंसान पहाड़ के पत्थर को तोड़ रहा होता हैं वैसे वैसे ही पहाड़ बने व्यक्ति को दर्द का एहसास हो रहा होता है। दर्द का अहसास होने के कारन वह व्यक्ति अब सोचता है कि “काश में वह व्यक्ति बन जाऊं जो इस पहाड़ को तोड़ रहा है” लेकिन इस बार उसकी यह इच्छा पूरी नहीं होती और वह पहाड़ ही बना रहता है।
पहाड़ बने रहने पर उस व्यक्ति को जैसे जैसे लोग तोड़ फोड़ कर रहे होते हैं वैसे ही उस व्यक्ति को दर्द का एहसास हो रहा होता है। वह व्यक्ति परेशान होने लगता है, बहुत ज्यादा चिल्लाने लगता है और कुछ ही देर बाद अचानक से उसकी नींद खुलती है और वह जग जाता है।
इसके बाद वह व्यक्ति सोचने लगता है कि इस इस दुनिया में सबसे बड़ा पहाड़ भी नहीं है क्योंकि उसे छोटे-छोटे इंसान अपने छोटे-छोटे औजार से तोड़ देते हैं।
इसके बाद वह व्यक्ति सोचने लगता है दुनिया में कोई भी चीज बहुत बड़ा या छोटा नहीं है सब अपने अपने स्थान पर एक समान ताकतवर हैं।
कुछ समय बाद जो व्यक्ति अपने सपने के बारे में विचार कर रहा होता है तब वह पूरी तरह से विचार करने के बाद मन ही मन में सोचता है की ना महल बड़ा है ना कोई राजनेता बड़ा है ना कोई धूप हवा या बादल बड़ा है ना ही कोई पहाड़ बड़ा है यदि पड़ा है तो एक इंसान बड़ा है जो तूफान को भी रास्ता बदलने पर मजबूर कर देने वाले पहाड़ को टुकड़ों में तोड़ता है अर्थात मैं भी बहुत बड़ा हूं।
शिक्षा
साथियों अक्सर हम अपने जीवन में अपने काम से लेकर अपने जरूरत की छोटी से छोटी चीजों की तुलना हम दूसरे अन्य सफल व्यक्तियों के चीजों के साथ करते रहते हैं जिसके कारण हम स्वयं का ही महत्व भूल जाते हैं।
यदि किसी भी व्यक्ति को भविष्य में आगे बढ़ने की चाह होती है तो उसे हमेशा ही अपने आसपास मिले चीजों को ही अपने लिए पर्याप्त मानना चाहिए और अपने ही क्षेत्र में दूसरों से श्रेष्ठ बनने का प्रयास करना चाहिए.
यह Short Motivational Story in Hindi for Success है जिससे आप समझ सकते है की हमेशा जीवन में हर एक काम अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण होता है|
8. छोटी सी समस्या का बड़ा हल – जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी
एक बार एक राजा होता है, एक दिन वह खाली पैर जंगल शिकार करने जाता है, शिकार करते करते एक नुकीला कांटा उस राजा के पैर में चुभ जाता है जिसके कारण उसे बहुत दर्द होने लगता है। राजा तुरंत ही महल में वापस आकर वैद्य के पास जाता है और कहता है “मेरे पैरों में बहुत नुकीला कांटा घुस गया जिसके कारण मेरा पैर बहुत ज्यादा दर्द कर रहा है मैं थोड़ा सा भी चल नहीं पा रहा हूं मेरा इलाज कीजिये।”
वैद्य अपनी तरफ से सारा इलाज कर देते है उसके बाद कहते है “यदि आपको अपने पेरों का दर्द से आराम चाहिए तो आप नरम या रबड़ से बने चीज पर चलिए, यदि आप मुलायम चीजों पर चलोगे तब आपका पैर जल्दी ठीक होगा और दर्द भी नहीं होगा।”
राजा वैद्य की बात सुनकर अपने सभी मंत्रियों को आदेश देता है की “मेरे पूरे महल में और मेरे राज्य के सभी सड़कों पर रबड़ की सड़क बना दी जाए जिससे मेरे पैरों मैं तकलीफ ना हो और मैं सही से चल पाऊ।”
राजा के सभी मंत्री इसी काम में जुड़ जाते हैं और पूरे महल को रबड़ के फर्श से ढकवा देते हैं और राज्य के कई सारे सड़कों को रबड़ का बना देते हैं। 1 दिन राजा अपने राज्य का जायजा लेने के लिए निकलता है कुछ दूरी चलने के बाद वह एक स्थान पर रुक जाता है।
इतने में राजा के पास एक व्यक्ति आता है और वह व्यक्ति राजा से पूछता है “महाराज आप पूरे राज्य में रबड़ की सड़कें क्यों बनवा रहे हैं?”
राजा अपने पैरों के दर्द की कहानी उस व्यक्ति को बताता है और उसके बाद कहता है “इसीलिए मैंने अपना महल समेत अपने इस राज्य के सभी सड़कों को रबड़ का सड़क में बदलने का आदेश दिया है।”
राजा की बातों को सुनकर वह व्यक्ति तुरंत बोलता है “महाराज यदि आपके पैरों में तकलीफ हुई थी तो आप अपने पैरों के आकार का रबड़ का एक चप्पल बनवाकर पहन लेते, इसके लिए अपने महल एवं अपने राज्य के सड़कों को रबड़ से क्यों ढका?”
यह सुनते ही राजा बहुत गहरी सोच में पड़ जाता है और सोचने लगता है की ‘रबड़ की सड़क और रबड़ का फर्श को बनाने में कितना अधिक खर्चा हो गया यदि यह सुझाव हमें पहले मिल गया होता तो हमारा इतना धन खत्म होने से बच जाता।’
शिक्षा
कई बार हमारे जीवन में समस्याएं आती है और कई बार उन समस्याओं का इलाज बहुत ही सरल होता है फिर भी हम जानकारी के अभाव में और बिना किसी अच्छे सलाहकार के उन समस्याओं को दूर करने की कोशिश करते हैं लेकिन समस्या का हल होने के बजाय हानि हो जाती है।
समस्या किसी भी प्रकार की हो यदि आपके पास अच्छे सलाहकार है और वे उन समस्याओं के क्षेत्र में जानकारी रखते हैं तो वह बड़ी से बड़ी समस्याओं को ठीक करने का सरल तरीका बता सकते हैं जिससे आपको ज्यादा परेशानी होने से बच जाती है।
9. दुनिया से हार गया लेकिन खुद से जीत गया | लक्ष्य स्टोरी इन हिंदी
यह Short Motivational Stories in Hindi for Students मुख्य रूप से उन छात्रों के लिए है जो अपने स्कूल में या सामान्य जीवन में कभी किसी कार्य को एक निर्धारित लक्ष्य रखकर करने की कोसिस नहीं करते .
लक्ष्य स्टोरी इन हिंदी: एक बार रणधीर नाम का एक लड़का था वह अपने मोहल्ले में पढ़ाई लिखाई ना करने वाला एवं हमेशा ही मस्ती करने वाला लड़का के तौर पर जाना जाता था।
रणधीर के घरवाले हमेशा परेशान रहते थे क्योंकि वह कभी भी किसी भी कार्य को दिल से नहीं करता था, वह किसी भी कार्य को पूरा नहीं करता था।
अपने मोहल्ले में रणधीर अपने साथी मित्रों के साथ खेलता, कूदता, दौड़ता एवं मस्ती करता रहता था। वह कभी भी अपने जीवन में कोई भी कार्य को लक्ष्य निर्धारित करके पुरा करने की कोसिस नहीं करता था इसलिए वह किसी भी कार्य को कभी भी पूरा नहीं कर पाता था चाहे वह पढाई हो, प्रतियोगिता हो|
रणधीर को प्रतियोगिता में भाग लेने का काफी शौक था। वह कई बार दौड़ की प्रतियोगिता में मस्ती के कारण भाग लिया करता था लेकिन कभी भी दौड़ को पूरा नहीं कर पाता था।
एक बार उसके शहर में मैराथन का बहुत बड़ा प्रतियोगिता आयोजन हुआ। इस प्रतियोगिता के बारे में सुनकर रणधीर ने भी मैराथन के दौड़ में भाग लेने की सोची और उसने दौड़ में भाग लिया।
प्रतियोगिता शुरू हुई, अन्य प्रतिभागियों की तरह रणधीर को भी इस प्रतियोगिता को जीतने की इक्षा हुई इसीलिए वह शुरुआत से काफी तेजी से प्रतियोगिता में दौड़ रहा था लेकिन काफी दूरी तय करने के बाद वह थक गया, और धीरे-धीरे दौड़ने लगा, कुछ दूरी पर वह रुक गया।
रणधीर ने कभी भी अपने जीवन में किसी भी कार्य को पूरी निष्ठा से करने की की कोशिश नहीं की थी। लेकिन इस बार वह इस प्रतियोगिता को जीतने की इक्षा रख रहा था इसलिए वह फिर से उठ खड़ा हुआ और धीरे-धीरे चलने की कोशिश करने लगा।
रणधीर काफी थक चुका था, धीरे-धीरे चलने के बावजूद कुछ दूरी तय करने के बाद वापस नीचे गिर पड़ा लेकिन उसने इस बार ठान लिया था कि वह इस प्रतियोगिता को पूरा कर के मानेगा।
रणधीर ने अपने आपसे यह जिद पकड़ ली एवं लड़खड़ाते हुए मैराथन की रेस में आगे बढ़ने लगा अंततः काफी समय के बाद वह प्रतियोगिता के अंत तक पहुंच गया एवं दौड़ को पूरा कर लिया।
रणधीर बहुत ज्यादा थक चुका था इसलिए वह प्रतियोगिता पूर्ण करने के तुरंत बाद ही नीचे जमीन पर गिर गया और आराम करने लगा। रणधीर आज प्रतियोगिता जीत नहीं पाया फिर भी वह मन ही मन काफी खुश हो रहा था क्योंकि उसने इससे पहले कभी भी किसी भी कार्य करने के लिए दृढनिश्चय नहीं किया था|
रणधीर भले ही आज प्रतियोगिता में दुनिया से हार गया लेकिन खुद से जीत गया।
शिक्षा
जिंदगी में कई बार हम किसी तरह के कार्य को करने के लिए टाइम टेबल बनाते हैं या निश्चय करते हैं कार्य को निष्ठा पूर्वक पूरा करने की लेकिन अधिकतर खुद से किया हुआ वादा को लोग पूरी तरह निभा नहीं पाते और बीच में ही अपने निश्चय को तोड़ देते हैं। यदि लक्ष्य बहुत बड़ा दिखाई दे तो उसे जल्दबाजी में पूरा करने के बजाए धीरे-धीरे भी पूरा किया जाए तो वह लक्ष्य जरूर प्राप्त किया जा सकता है।
इस Motivational Kahani in Hindi को पढ़कर आप समझ पाए होंगे की यदि आप अपने जीवन में किसी भी कार्य को लक्ष्य मान कर करते है जो सफलता आपको जरुरु मिलती है|
10. ईमानदारी का मीठा फल | Motivational Stories in Hindi
यह Motivational Kahani in Hindi ईमानदारी की सिक्षा देती है की क्यों हमें जीवन में हमेशा इमानदार रहना चाहिए| Short Motivational Stories in Hindi for Students.
Motivational Short Story in Hindi: एक बार एक राज्य में एक राजा रहता था। राजा की एक बहुत ही खूबसूरत बेटी थी वह अपनी बेटी की शादी एक सच्चा एवं ईमानदार व्यक्ति से करना चाहता था एवं अपने राज्य के लिए इमानदार उत्तराधिकारी भी चुनना चाहता था|
राजा ने घोषणा किया किया की “मैं अपनी बेटी की शादी हमारे राज्य के होनहार नवयुवक के साथ करना चाहता हूँ एवं आगे चल कर वह नवयुवक इस राजवंश का अगला उत्तराधिकारी भी बनेगा|”
राजा के द्वारा की गई घोषणा को सुनकर गांव के कई सारे नवयुवक राजा के महल पहुंचे। राजा ने सभी का स्वागत किया और सभी को कहा “इस राज्य का उत्तराधिकारी बनने के लिए एवं मेरी बेटी से विवाह करने के लिए आप सभी को अपनी योग्यता साबित करनी होगी।“
राजा ने योग्यता साबित करने के लिए महल में आए सभी नव युवकों को कहा “मैं आप सभी को खूबसूरत फूल के बीज दे रहा हूं, जिसे गमले में लगाकर आप सभी को पुनः 2 महीने बाद गमले के साथ वापस आना है इसके बाद मैं इस राज्य का उत्तराधिकारी चुनूंगा जिससे मेरी बेटी का विवाह होगा“
सभी नवयुवक राजा से सुंदर फूल के बीजों को लेकर अपने-अपने घर आ गए एवं सभी ने फूल के बीजों को गमले में लगाया। उन सभी नवयुवकों में एक नवयुवक हरीश भी था।
हरीश बहुत गरीब था जो अपनी दादी मां के साथ झोपड़ी में अकेला रहता था। हरीश हृदय का बहुत ही सच्चा एवं अच्छा व्यक्ति था वह अपनी दादी मां की सभी जरूरतों का ख्याल रखता था।
हरीश जब राजमहल गया था और जो भी चीजे उसने रजा से सुनी थी वह सभी बातें अपनी दादी के पास आया आकर सुनाया। महाराज के द्वारा दिए गए फूल के बीज को हरीश ने भी एक गमले में लगाया एवं पानी देकर सींचने लगा।
काफी दिन बीत गए लेकिन हरीश ने जिस गमले में उन फूल के बीजों को लगाया था उसमें से अभी तक कोई पौधा भी अंकुरित नहीं हुआ था इस बात को लेकर हरीश काफी चिंतित था और उसने यह बात अपनी दादी मां को बताइए। दादी मां ने सलाह देते हुए कहा “बेटा तुम हृदय से अपना काम कर रहे हो। यदि तुम बिना किसी छल कपट के कार्य करोगे तो सफलता तुम्हें ही मिलेगी।”
बीज को गमले में लगाए 2 महीने बीत चुके थे और सभी नवयुवक को राजा ने महल में बुलाया। क्योंकि गमला में किसी भी तरह का फूल का पौधा तक नहीं होगा था इसलिए हरीश राज महल में जाने से हिचक रहा था लेकिन उसके दादी मां ने हरीश को कहा कि “तुम्हें महल वापस जरूर जाना चाहिए क्योंकि तुमने सच्चे मन से अपना काम किया है इसलिए यदि तुम ऐसा फल भी होगे तो भी दुख करने की बात नहीं है।”
हरीश अपनी दादी मां की बातों को सुनकर महल गया, हरीश ने महल में बाकी सभी नवयुवकों के हाथों में गमले एवं गमलों में सुंदर सुंदर फूल के पौधे एवं उनमें लगे हुए फूल देखें जिसे देखकर हरीश काफी दुखी महसूस कर रहा था।
राजा ने सभी नवयुवकों को महल में स्वागत किया और राजा ने एक-एक करके सभी नव युवकों से एक एक करके गमला लेने लगे। जब राजा ने हरीश का गमला खाली देखा जिसमें किसी भी तरह का कोई पौधा नहीं लगा था तब राजा ने हरीश से पूछा “क्या हुआ तुम्हारे गमले में किसी भी तरह का पौधा क्यों नहीं उगा है।” हरीश ने कहा “महाराज मैंने पूरी लगन से आपके द्वारा दिए गए फूल के बीजों को गमले में लगाया एवं पूरे 2 महीने तक बीज को पानी देकर सिंचाई की फिर भी इसमें से किसी भी तरह का कोई पौधा नहीं उगा।“
राजा ने जब सभी नवयुवकों के गमले एक-एक करके ले लिए तब अंततः राजा ने सभी नवयुवकों को अपने राज्य का उत्तराधिकारी एवं अपनी पुत्री का जीवन साथी का नाम घोषणा करने के लिए बुलाया और कहा “आप सभी ने 2 महीनों तक अपने-अपने गमलों में फूल के बीजों को लगाए और उन गमलों में से सुंदर सुंदर फूल के पौधे उगाए।“
हरीश के अतिरिक्त सभी नवयुवक यह बात जाने के लिए उत्सुक थे कि राज्य का उत्तराधिकारी कौन बनने वाला है तभी राजा ने कहा “मैंने आप सभी को जो फूल के बीज दिए थे वह सभी गर्म पानी में उबालें गए बीच थे। जिसके कारण उस बीज से किसी भी तरह का कोई भी पौधा किसी भी स्थिति में उगाया नहीं जा सकता था।”
राजा के इस कथन को सुन कर हरीश के अलावा सभी नवयुवक अपने आप में शर्मिंदा महसूस करने लगे थे तभी राजा ने कहा “हरीश नाम का युवक जिसने बिना किसी छल कपट के पूरी ईमानदारी के साथ मेरे द्वारा दिए गए उबले हुए फूल के बीजों को गमले में लगाकर पूरे 2 महीने तक सिंचाई की व उसके बाद वह गमला मेरे सामने प्रस्तुत किया अतः हरीश हमारे पूरे राज्य में सबसे ईमानदार एवं सच्चे ह्रदय का व्यक्ति है।“
राजा ने घोषणा की “हमारे इस राज्य का नया उत्तराधिकारी हरीश होगा जिसने बिना किसी छल कपट के इमानदारी से हमारे द्वारा दिए गए परीक्षा को पास किया है। हरीश ही हमारी बेटी का होने वाला जीवन साथी भी होगा।“
सिक्षा
इस जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी को पढ़ कर आप समझ सकते है की यदि आप जीवन में इमानदार रहो तो आपको कितना बड़ा लाभ मिल सकता है| आशा है Motivational Stories in Hindi आपको पसंद आ रही है।
11. सौ सुनार की एक लोहार की | Motivational Quotes in Hindi
यह Short Motivational Story in Hindi भारत में बोला जाने वाला काफी प्रसिद्ध मुहावरा “सौ सुनार की एक लोहार की” के बारे में बताती है.
एक गांव में एक सुनार और एक लोहार रहते थे, दोनों एक दूसरे को जानते थे और दोनों के बीच काफी अच्छी जान पहचान थी।
लोहार काफी गरीब था और प्रत्येक दिन वह लोहे के बर्तन और लोहे से बने चीजों को बनाकर एवं उसे बेचकर अपना जीवन यापन करता था| सोनार काफी धनी था लेकिन विचार से काफी चालाक व्यक्ति था| सुनार जब भी लोहार के दुकान पर आता था तब वह किसी ना किसी प्रकार का कोई लोहे का सामान अपने घर लेकर जाता था।
एक दिन सुनार लोहार के दुकान पर आया जब लोहार बहुत ही सुंदर लोहे की कटोरी बना रहा था| लोहार ने कटोरी पर बहुत बारीकी से डिजाइन बनाए थे जिसको बनाने में उसने काफी मेहनत की थी।
सुनार ने लोहार को कटोरी बनाते हुए देख लिया और सुनार को कटोरी काफी पसंद आ गयी तब उसने लोहार से जाकर कहा “दोस्त यह कटोरी तो तूने बहुत ही सुंदर बनाई है, मैं इसे अपने साथ घर लेकर जाता हूं तेरी भाभी को यह बहुत पसंद आएगा।” सुनार की बातों को सुनकर लोहार ने बिना कुछ कहे वह कटोरी अपने दोस्त को दे दिया।
कुछ दिन बाद फिर लोहार अपने दुकान पर बहुत ही सुंदर प्लेट बना रहा था लोहार ने उस प्लेट पर बहुत ही अच्छे तरीके से डिजाइन बनाई थी जो बहुत सुंदर दिख रहा था| लोहार ने खुबसूरत डिजाईन वाली प्लेट को बनाने में काफी मेहनत की थी| एक बार फिर सुनार अपने लोहार दोस्त से मिलने आया| सुनार ने खुबसूरत डिजाईन वाले प्लेट को देखकर लोहार से कहा “यार तूने यह कितनी सुंदर प्लेयर बनाई है तेरे जैसा कोई भी इतना सुंदर लोहे की चीजें नहीं बना सकता, इसे मैं तेरी भाभी को दिखाऊंगा वह बहुत ही खुश हो जाएगी।“
सुनार इस बार भी लोहार से काफी सुंदर प्लेट लेकर चला गया यह देखकर सुनार थोड़ा देर के लिए मायूस हो गया लेकिन फिरसे वह अपने काम में लग गया।
एक दिन लोहार किसी कारण से बाजार गया बाजार में उसके सुनार दोस्त की दुकान भी थी, तो लोहार अपने सुनार दोस्त से मिलने चला गया। सुनारने हाल ही में एक बहुत ही सुंदर और बहुत ही महंगा हीरो का हार लेकर अपने दुकान में रखा था जिसे वह भारी कीमत पर किसी को बेचना चाहता था।
जैसे ही लोहार अपने सुनार दोस्त के दुकान पर गया तो सुनार चौक गया और पूछा “और भाई क्या क्या हाल है तू यहां क्या कर रहा है?“
लोहार ने जवाब दिया “कुछ नहीं दोस्त, मुझे बाजार में कोई सामान लेना था इसलिए आज बाजार आया, तेरा भी दूकान बाजार में ही था तो सोचा तुझसे भी मिलते चालू” इतने में ही लोहार की नजर हीरों की हार पर पड़ी। लोहार ने सुनार से कहा “यार यह कौन सा हार है बहुत ही सुंदर और खूबसूरत दिख रही है क्या मई इसे छू कर देख सकता हूँ?“
सुनार ने कहां “हां हां क्यों नहीं यह बहुत ही खास हार है जो बहुत कीमती है, इसे हाल ही में मैंने अपने दुकान पर लेकर आया“
लोहार ने वह हार अपने हाथ में लेकर देखा, हार देखने में बहुत ही सुंदर थी इसलिए सुनार को वह हार बहुत पसंद आ गयी| इतने में बात करते हुए लोहार ने कहा “यार यह हीरों का हार कितना खूबसूरत है यह तो पूरे राज्य में किसी के पास नहीं होगा| यह हार मैं तेरी भाभी को लेकर दूंगा तो वह कितना खुश होगी|” यह कहकर लोहार ने कहा “क्या यह हार मैं तेरी भाभी के लिए ले जाऊं।“
क्योंकि सुनार पहले कई बार अपने लोहार दोस्त के यहां से काफी सारी चीजें समय समय पर अपने घर लेकर गया था इसी कारण वह चाहकर भी अपने लोहार दोस्त को हार ले जाने से मना नहीं कर पाया और सुनार ने दुखी मन से कहा “ठीक है भाई लेकर जाओ” इसके बाद लोहार वह हीरो का हार लेकर अपने घर गया और अपनी पत्नी को हार दिखाते हुए कहा कि “यह देखो प्रिय मेरे सुनार दोस्त ने यह हार खास तुम्हारे लिए तोहफे में दी है।”
शिक्षा
साथियों अक्सर आपने सामान्य बोलचाल में एवं बातचीत में कभी ना कभी इस मुहावरे के बारे में जरूर सुना होगा कि “सौ सुनार की एक लोहार की” इस कहानी से आप समझा चुके होंगे कि अक्सर लोग सौ सुनार की और एक बार की इस मुहावरे को इस संदर्भ में अपने जीवन में बातचीत करने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
आशा है जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी आपको पढ़कर आनंद आ रही होगी, आगे और भी कई Motivational Stories in Hindi लिखी गयी है जिसे आप ध्यान से पढ़ते रहिये|
12. पतले रस्सी की कैद में हांथी | Motivational Kahani in Hindi
यह मोटिवेशनल कहानी छोटी सी है लेकिन इससे आपको यह जानने को मिलता है की किसी के बचपन में बुरा घटना घटने से उसके भविष्य में कितना गहरा प्रभाव पड़ता है. Sort Motivational Story for Students in Hindi.
Motivational Story For Life in Hindi: एक सर्कस था जिसमे कई तरह के जानवरों का खेल दिखाया जाता था| सर्कस में एक दर्सक हाथी का खेल देखने आया उसने देखा की एक विशालकाय हाथी है जो बहुत ही पतले रस्सी से बंधा हुआ था।
सर्कस देखने आए व्यक्ति को बड़ी हैरानी हुई उसने सोचा “इतना विशालकाय हाथी इतने पतले रस्सी से किस प्रकार बंधा हुआ है? यदि इसे गुस्सा आ गया तो यह तुरंत ही पतलेरस्सी को झटके से तोड़कर सर्कस देखने आए आम लोगों पर हमला कर सकता है।”
वह व्यक्ति कुछ समय के बाद हाथी की देखरेख करने वाले व्यक्ति के पास गया और कहा “मैं सोचता था कि सर्कस में आप सभी जानवरों को किसी विशेष सुरक्षा घेरा में रखते होंगे जिससे दर्शकों को किसी भी प्रकार की कोई तकलीफ ना हो पाए|”
आगे उस व्यक्ति ने कहा “आपने अपने इस विशालकाय हाथी को केवल और केवल एक पतले रस्सी से बांधकर रखा हुआ है यदि यह कभी गुस्सा हो गया और गुस्से के कारण सर्कस देखने आए दर्शकों के ऊपर हमला कर दिया तब कितनी बड़ी घटना हो सकती है।”
हाथी को देखभाल करने वाले व्यक्ति ने उस दर्शक को बताया कि “यह हाथी कभी भी इस पतले रस्सी को छोड़कर किसी भी दर्शकों के ऊपर हमला नहीं करेगा?”
दर्शक ने पूछा ”ऐसा क्यों?“
हाथी की देखभाल करने वाले व्यक्ति ने कहा “ऐसा इसलिए क्योंकि जब यह हाथी बहुत छोटा था तभी से हम इसकी देखभाल कर रहे हैं। जब यह हाथी छोटा था तब हमने इसे इसी पतली रस्सी से बांधा था| बचपन में इस हाथी ने उस पतली रस्सी को तोड़ कर इधर-उधर भाग जाने की बहुत कोशिश की लेकिन बचपन में उतना ताकतवर ना हो पाने के कारण उस रस्सी को तोड़ नहीं पाया।”
आगे हाथी के मालिक ने कहा “मेरे इस हाथी का जीवन हमेशा से इसी पतली रस्सी मैं बंधा हुआ गुजरा है इसीलिए वह आज भी यही समझता है कि वह पतली रस्सी आज भी उससे नहीं टूट सकती इसीलिए वह अब उस रस्सी को तोड़कर भागने का प्रयाश नहीं करता|”
हाथी को देखभाल करने वाले व्यक्ति का जवाब सुनकर वह दर्शक बहुत अचंभित हो गया और वह समझ गया कि वह हाथी क्यों कभी किसी दशक के ऊपर अपना रस्सी का बंधन तोड़कर हमला नहीं कर पाता|
शिक्षा
यह कहानी हमें अपने मन में पुराने घावों, डरों और सीमाओं को मन में गाँठ बाँध कर रखने से बचने की सिक्षा देती है और हमेशा अपने सामर्थ्य, स्वतंत्रता और संभावनाओं को पहचानने की सिक्षा देती है|
हमारे जीवन में अवश्य ही कभी ना कभी कोई ऐसी घटना घटती है जिससे तकलीफ तकलीफ होती है, यदि वह घटना किसी अपने के द्वारा व हमारे अच्छे के लिए हुआ है तो वह तुरंत ही भूल जाना चाहिए| यदि हम ऐसा नहीं करते तो वह छोटी की घटना हमारे जीवन में गाँठ बन कर बैठ जाता है| इससे हमारा मन अस्थिर होता है, किसी भी आचे चीजों को ठीक से सोच नहीं पाता क्यूंकि मस्तिस्क उसी घटना को लेकर हमेशा परेशान रहता है और समय अधिक बीत जाने यदि हम उसे भूलने की कोसिस करे तब भी भूल नहीं पाते|
यह मोटिवेशनल कहानी छोटी सी सी है लेकिन इससे पता चलता है की जीवन में किये गए एक छोटे प्रयाश से कितना गहरा प्रभाव पड़ सकता है| आगे की Motivational Stories in Hindi पढ़ते रहिये|
13. शांति का असली मतलब | जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी
यह Motivational Kahani in Hindi काफी छोटी सी है लेकिन यह छोटी सी कहानी हमारे जीवन में शान्ति के असली मतलब को सिखाता है की “वास्तव में शान्ति है क्या“।
जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी: एक बार एक शहर में चित्रकारों के लिए एक प्रतियोगिता रखी गई। प्रतियोगिता रखने वालों ने यह घोषणा की कि जो भी चित्रकार अपने पेंटिंग में सबसे अधिक शांति को दर्शआएगा उसे ₹10 करोड़ का इनाम दिया जाएगा।
शहर के सभी लोगों ने इस खबर के बारे में सुना क्योंकि विजेता को ₹10 करोड़ की धनराशि दी जाने वाली थी इसीलिए यह खबर पूरी तरह से शहर में फैल गई।
शहर के कई लोग एवं चित्रकारों ने अपने-अपने पेंटिंग्स को बनाकर प्रतियोगिता में भेजें।
हजारों की संख्या में आए पेंटिंग्स में से प्रतियोगिता के जज ने कुल 100 पेंटिंग्स को चुना और उन सभी को एग्जीबिशन में लगा दिया गया जिससे कि शहर के सभी लोग उन पेंटिंग्स को देखें।
क्योंकि प्रतियोगिता के बारे में शहर के अधिकतर लोगों को पता था और वे सभी यह जानने के लिए उत्सुक थे कि किस चित्रकार को ₹10 करोड़ मिलेगा इसीलिए एग्जीबिशन में हजारों की भीड़ इकट्ठा हो गई। विजेता के बारे में न्यूज़ दिखाने के लिए सैकड़ों पत्रकार भी एग्जिबिशन में आए।
एग्जीबिशन में एक से बढ़कर एक पेंटिंग्स लगे हुए थे जिसमें से एक पेंटिंग स्वच्छ वातावरण, ऊंचे ऊंचे पहाड़ एवं पहाड़ से निकलती हुई नदी, नदी के आसपास हरियाली को बयां कर रही थी जिसको देखकर ही लोगों के मन में शांति जैसा प्रतीत हो रहा था।
एक और तस्वीर जिसमें चांदनी रात को दिखाया था। पेंटिंग में चांद को आसमान में चमकते हुए दिखाया था और नीचे तालाब दिखाया गया था जो पूरी तरह शांत इतना शांत कि उस तालाब में रात को उड़ने वाले जुगनू की परछाई भी दिख रही थी। इस पेंटिंग को देखकर भी कई दर्शक खूब पसंद कर रहे थे। इसी तरह और भी कई सारी पेंटिंग थी जिसको कई दर्शक भीड़ बनाकर देख रहे थे।
कुछ समय बाद प्रतियोगिता का आयोजन करने वाले लोगों ने प्रतियोगिता के विजेता की पेंटिंग को कपड़े से ढक कर स्टेज पर लाया और कुछ देर में सबसे अधिक शांति को दिखाने वाले पेंटिंग के ऊपर से आयोजक ने पर्दा उठा दिया।
पर्दा उठते ही दर्शकों ने जब पेंटिंग को देखा, वह सभी आश्चर्यचकित हो गए। दर्शकों को लगा शायद यह पेंटिंग गलती से इन आयोजकों ने यहां ला दी है शायद विजेता कोई और पेंटिंग होगी।
इतने में कुछ चित्रकार प्रतियोगिता के आयोजक के पास पहुंचे और उन्होंने आयोजक से पूछा “क्या आप लोग सच में इसी पेंटिंग को इस प्रतियोगिता का विजेता चुन रहे है या कुछ गलती हो गई है।“
आयोजक ने जवाब दिया “जी नहीं जज ने इसी पेंटिंग को इस प्रतियोगिता का विजेता चुना है।” आयोजक की बात सुनकर कई सारे चित्रकार बहुत गुस्सा हो गए और आपस में बात करने लगे कि ऐसा कैसे हो सकता है? यह पेंटिंग किस प्रकार शांति को बयां कर रही है।
इतने में कई सारे पत्रकार भी आयोजक के पास चले गए और आयोजक से पूछने लगे की “आपने कहा था जो भी प्रतियोगी अपने चित्र में सबसे अधिक शांति को दर्शआएगा उसे विजेता चुना जाएगा, तो आपने यह पेंटिंग किस प्रकार विजेता के रूप में चुना है?“
यह सब बात सुनने के बाद आयोजक ने सभी पत्रकार दशक एवं चित्रकार से कहा “आप लोग कृपया शांत हो जाइए और एक बार इस पेंटिंग को ध्यान से देखिए, आपको इस पेंटिंग में क्या दिख रहा है वह बताइए।“
इतने में एक दर्शक कहता है “आपने कहा था कि जिस पेंटिंग में सबसे अधिक शांति दिखाई देगी उसी पेंटिंग को विजेता माना जाएगा लेकिन इस पेंटिंग में तो किसी भी प्रकार से दूर-दूर तक कोई शांति नहीं दिखाई दे रही है।”
दर्शक ने आगे कहा “इस पेंटिंग में एक छोटा सा घर हैहै, एक खुला मैदान है और मैदान के ऊपर काले बादल मंडरा रहे हैं। बिजली कड़क रही है, काफी भयंकर तूफान भी दिख रहा है। इसमें किस प्रकार से शांति दिखाई दे रही है?”
इतने में आयोजक कहता है क्या आपको इस पेंटिंग में एक छोटा सा घर दिख रहा है और घर में खिड़की देख रही है? इतने में बाकी दशक और चित्रकार बोलते हैं दिख रहा है। तब आयोजक बोलता है क्या आपको घर में एक छोटे से खिड़की दिखाई दे रही है जिसमें से एक आदमी का चेहरा दिख रहा है जो शांति से खड़ा है और हल्का सा मुस्कुराता हो दिखाई दे रहा है। सभी लोगों ने बोला हां दिखाई दे रहा है।
इतने में दर्शक ने बोला “यही इस प्रतियोगिता का सबसे अधिक शांति दर्शाने वाला चित्र है, क्योंकि इस चित्र में दिखाया गया है एक व्यक्ति जिसके आसपास भयंकर तूफान आया हुआ है बादल गरज रहे हैं बिजली चमक रही है फिर भी वह अपने मन को शांत करके शांतिपूर्ण तरीके से खड़ा है वास्तव में यही सबसे बड़ी शांति है।”
आयोजक ने आगे कहा “यदि मन में शांति हो तो वातावरण चाहे कितना भी शांत हो अथवा चुनौतियों से भरा हुआ तब भी आपका मन शांत ही रहता है“
अंततः आयोजक की बात अन्य सभी चित्रकार एवं दर्शकों को समझ में आए वह उस क्षेत्र के चित्रकार को विजेता घोषित किया गया।
शिक्षा
यदि आपके मन में शांति होती है तब आप किसी भी शोर-शराबे वाले स्थान पर या डरावने स्थान पर भी चले जाए तब भी आपके मन में शांति बनी रहती है।
यदि आपका मन अशांत है वह आप अपने अशांत मन के कारण शांत से शांत जगह पर भी जाकर शांति की खोज करते हैं तब भी आपको मन में शांति नहीं मिलती और आपका मन व्याकुल ही रहता है।
यहाँ तक हमने 10 Motivational Stories in Hindi लिख चुके है जिसमे Motivational Story for Students in Hindi और Short Motivational Story in Hindi for Success शामिल है आगे बने रहिये हमने और भी कई जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी इस आर्टिकल में उपलब्ध कराइ है।
14. अच्छा कहोगे तो अच्छा होगा | मोटिवेशनल कहानी छोटी सी
पाठकों अक्सर आपने अपने जीवन में कभी न कभी यह जरूर सुना होगा की आप स्वयं “अच्छा कहोगे तो अच्छा होगा” या “अच्छा करोगे तो अच्छा होगा” यह Motivational Kahani in Hindi इसी विषय के बारे में आपको सिक्षा देती है।
Short Motivational Story in Hindi: एक गांव में एक व्यक्ति था और उस गांव में कुछ दूरी पर एक सुंदर पहाड़ था वह व्यक्ति रोजाना है अपने घर से कुछ समय के लिए बस हार पर जाता था और कुछ समय उस पहाड़ पर बिताने के बाद वापस घर आ जाता था। रोजाना उस पहाड़ पर चढ़ना पहाड़ पर कुछ देर के लिए रुकना और फिर वापस आ जाना यह उस व्यक्ति का रोजाना का आदत था।
एक दिन जब वह व्यक्ति अपने सामान्य दिनों की तरह पहाड़ पर चढ़ने निकला तब उस दिन उसका बच्चा भी जिद करने लगा कि उसे भी पहाड़ पर चढ़ना है। क्योंकि पहाड़ पर चढ़ने का रास्ता बहुत उबड़ खाबड़ पत्थरों से भरा हुआ और काफी पतला रास्ता था इसलिए उस व्यक्ति ने बच्चे से कहा तुम मेरे साथ पहाड़ पर बताओ पहाड़ का रास्ता बहुत खराब है तुम बहुत थक जाओगे।
बच्चे ने जिद पकड़ ली कि उसे भी पहाड़ पर चढ़ना है अंतत है उस आदमी ने इस दिन अपने बच्चे को भी अपने साथ पहाड़ की चढ़ाई पर लेकर चल दिया। व्यक्ति ने अपने बच्चे का हाथ बहुत कस के पकड़ रखा था क्योंकि पहाड़ का रास्ता काफी संकीर्ण और पतला था यदि बच्चा थोड़ा सा भी अपनापन गलत जगह पर डगमग आता तो वह गहरी खाई में गिर सकता था।
पहाड़ पर काफी दूरी चढ़ने के बाद रास्ते में एक बड़ा सा पत्थर आया क्योंकि उस व्यक्ति का रोजाना ही पहाड़ पर आना जाना था इसीलिए वह व्यक्ति उस बड़े से पत्थर के बगल से निकल गया लेकिन उसके बच्चे को रास्ते के बीच में आने वाले इस पड़े से पत्थर के बारे में जानकारी नहीं थी इसलिए वह वह बड़े से पत्थर से टकरा गया।
बच्चा जैसे उस बीच रास्ते के पत्थर से टकराया वैसे ही उसकी काफी तेज चीख निकली “आह…” क्योंकि वह पहाड़ की काफी ऊंचाई पर पहुंच गए थे इसीलिए उस बच्चे की आवाज पहाड़ों से गूंज कर वापस उसे सुनाई दी “आह…“।
बच्चे ने आज से पहले कभी भी खुद की किसी चीज से टकराकर आई हुई आवाज नहीं सुनी थी इसीलिए बच्चे ने उस पहाड़ों से टकराकर आई हुई आवाज को किसी दूसरे व्यक्ति की आवाज मान लिया।
बच्चा सोचने लगा कि आस पास कोई व्यक्ति है जो उसे छुप कर देख रहा है और उसके आवाज की नकल उतार रहा है।
छोटे से बच्चे ने आस पास नजरें घुमाकर कहा “कौन हो तुम?”
बच्चे के द्वारा बोली गई आवाज “कौन हो तुम?” एक बार फिर पहाड़ से टकराकर वापस आई और उसे सुनाई दी| बच्चे को लगा पक्का कोई उसके आवाज की नकल कर रहा है और उसे चिढ़ा रहा है।
बच्चे का पिता वही खड़े रहे और वह सब कुछ समझ चुके थे की बच्चा पहाड़ से गूंजती हुई आवाज को किसी और व्यक्ति की आवाज मान रहा है।
छोटे से बच्चे ने इस बार गुस्से से कहा “मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं!”
फिर से पहाड़ से टकराकर आवाज वापस आई “मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं!”
इस बार बच्चा डर गया और अपने पापा का हाँथ कस कर पकड़ लिया, उस बच्चे ने अपने पापा से पूछा “पापा ये कौन है जो मुझे इतना परेशान कर रहा है|”
बच्चे का पिता सब कुछ समझ समझ चुके थे की क्या हो रहा है इस बार बच्चे के पिता ने पहाड़ के तरफ देखते हुए कहा “मै तुमसे प्यार करता हूँ”
उधर पहाड़ से टकराकर आवाज आई की “मै तुमसे प्यार करता हूँ”
बच्चा सोचने लगा की यह कौन व्यक्ति है जो थोड़े देर पहले मुझे डरा रहा था और अभी मेरे पापा से कह रहा है की “मै तुमसे प्यार करता हूँ“
एक बार बच्चे के पिता ने पहाड़ की तरफ देखकर कहा “तुम बहुत अच्छे हो”
पहाड़ से टकराकर एक बार फिर आवाज आई की “तुम बहुत अच्छे हो”
बच्चे ने अब अपने पापा से पूछा “पापा ये कौन आदमी है जो छुप कर आपसे कह रहा है की मै तुमसे प्यार करता हूँ”
इस बार उस बच्चे का पिता थोडा मुस्कुराये और कहने लगे “बेटा यह जितनी भी आवाजे तुम्हे सुनाई दे रही है वह तुम्हारी खुद की आवाज है। तुम्हारी खुद की आवाज पहाड़ से टकराकर वापस तुम्हे सुनाई दे रही है।”
पिता ने आगे कहा जब तुम गुस्से से बोल रहे हो की “मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं!” तब पहाड़ से टकराकर आती हुई आवाज भी तुम्हे सुनाई दे रही है की “मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं!”|
जब हम पहाड़ की तरफ कह रहे है की “तुम बहुत अच्छे हो” तब पहाड़ से टकराकर आवाज भी हमे सुनाई दे रही है की “तुम बहुत अच्छे हो”
आगे बच्चे के पिता ने कहा जब हम पहाड़ की तरफ अच्छी बाते कह रहे है तब हमे अच्छी बातें सुनाई दे रही है और जब बुरा बात कह रहे है तो हमें बुरा सुनाई दे रहा है| यह सब बात सुन कर बच्चा सब कुछ समझ गया|
कुछ देर में वह दोनों पहाड़ के चोटी पर पहुंचे और इस बार बच्चे ने पहाड़ के चोटी पर खड़े होकर बहुत तेज आवाज में कहा “मै तुमसे प्यार करता हूँ”
पहाड़ से टकराकर उस बच्चे को वापस से आवाज सुनाई दी “मै तुमसे प्यार करता हूँ” यह सुन कर बच्चा बहुत खुस हुआ और उसने इस बात से यह सीख ली की यदि हम खुद के बारे में अच्छा कहेंगे तब हमारे बारे में अच्छा सुनाई देगा| यदि हम खुद के बारे में बुरा कहेंगे तो हमे भी बुरा ही सुनाई देगा|
सिक्षा
अक्सर हम अपने जीवन में एवं अपने मन में खुद के बारे में किसी न किसी प्रकार की नकारात्मक बात करते है, चाहे अपने शारीर को लेकर हो, अपने बढाई को लेकर हो या अपने काम को लेकर हो इससे हमारी जिंदगी भी नकारात्मक बन जाता है| यदि हम अपने जीवन के बारे में मन में अच्छा सोचते है तब हमारा जीवन सकारात्मकता से भर जाता है|
उस बच्चे के तरह ही यदि हम अपने बारे में अच्छी बातें करे तो पहाड़ के गूंज की तरह ही हमे सकारात्मक बाते खुद के जीवन में सुनने को मिलती है इससे स्वयं को अच्छा लगता है और आप अन्य दुखी लोगों की तुलना में स्वस्य सकारात्मकता से भर उठते है|
यह Motivational Kahani in Hindi बहुत ही अच्छा सीख देती है की क्यों हमे अपने जीवन में अपने बारे में केवल और केवल नकारात्मक बोलने की जगह सकारात्मक बातें कहनी चाहिए| आशा है यह Motivational Stories in Hindi आपको अच्छी लगी होगी।
15. ₹10 की आइस क्रीम ₹5 की टिप | Motivational Kahani in Hindi
यह Motivational Kahani in Hindi है जो बहुत छोटी है लेकिन यह बहुत गहरी सीख देती है। Short Motivational Story in Hindi सभी आयु वर्ग के व्यक्ति के लिए है।
Short Moral Story In Hindi: एक बार एक छोटी सी बच्ची होती है जो हंसते-हंसते एक बहुत बड़ा सा आइसक्रीम पार्लर जाती है।
उस बड़े से आइसक्रीम पार्लर में काफी बड़े-बड़े लोग आइसक्रीम खाने आते थे और वह आइसक्रीम पार्लर काफी व्यस्त रहता था ऐसे में वहां एक बच्चे को देखकर एक वेटर आया और बच्ची से पूछा “क्या चाहिए तुम्हें?”
बच्ची ने जवाब दिया “मुझे आइसक्रीम चाहिए।”
उस वेटर ने बोला “कौन सी आइसक्रीम चाहिए”
बच्ची ने कहा आपके पास सस्ती वाली कौन सी आइसक्रीम है और कितने रुपए की है।
वेटर अन्य बड़े-बड़े लोगों का आर्डर छोड़कर वह छोटी सी बच्ची का आर्डर ले रहा था इसलिए वह थोड़ा गुस्से में आ गया क्योंकि उस बच्चे को सस्ती वाली आइसक्रीम चाहिए थी।
वेटर ने कहा “सस्ती वाली आइसक्रीम ₹20 की है”
उस बच्ची ने कहा “नही नही क्या आपके पास इससे सस्ती वाली आइसक्रीम है?”
वेटर ने गुस्से में कहा इससे सस्ती ₹15 वाली आइसक्रीम है।
बच्ची वेटर की ऊँची आवाज सुनकर थोड़ी उदास हो गई और फिर भी उसने वेटर से कहा “क्या आपके पास इससे भी थोड़ी सस्ती वाली आइसक्रीम है।”
वेटर इस बार काफी गुस्से में आ चुका था लेकिन उसने अपने गुस्से को नियंत्रित करते हुए बोला “हां ₹10 वाली आइसक्रीम है।“
इसके बाद उस बच्ची ने कहा “ठीक है आप मेरे लिए ₹10 वाली आइसक्रीम ला दीजिए।”
वेटर काफी गुस्से मनसे गया और उस बच्ची के लिए ₹10 वाला आइसक्रीम लाकर उसे दे दिया।
बच्ची ने तसल्ली से अपनी ₹10 वाली आइसक्रीम खाई और आइसक्रीम का दिल अपने टेबल पर रख कर चली गई।
यह सब देख कर उस वेटर को काफी गुस्सा आ रहा था क्योंकि महंगे आई क्रीम पार्लर में अधिकतर काफी बड़े लोग आइसक्रीम खाने आते थे और काफी महंगे आइसक्रीम आर्डर किए जाते थे।
अब है वेटर आइसक्रीम का बिल लेने आया और जहां पर उस बच्ची ने अपने बिल के पैसे दिए वहां से उसने पैसे ले लिए।
जैसे ही वेटर ने उस बच्ची के द्वारा टेबल पर रखे पैसे उठाए कुछ देर के लिए वह सोच में पड़ गया और थोड़ी ही देर में उसके आंखों में आंसू आ गया।
दरअसल छोटी बच्ची ने ₹10 की आइसक्रीम खाए थे लेकिन वह वेटर के लिए बतौर टिप के तौर पर ₹15 बिल के रूप में दे गई थी।
वेटर ने जब यह समझा कि उस बच्ची के पास ₹15 थे फिर भी उसने ₹15 की आइसक्रीम ना मंगवा कर ₹10 वाली आइसक्रीम मंगवाई क्योंकि ₹5 वह मुझे टिप देना चाहती थी यह देखकर वेटर के आंखों में आंसू आ गया।
शिक्षा
चाहे इंसान बड़ा हो या छोटा, आमिर हो या गरीब हमेशा दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। इस कानी में जिस प्रकार बच्ची के पास 15 रूपए थे फिर भी उसने वेटर को टिप देने के लिए सोचा इसलिए खुद 5 रूपए का आइस क्रीम मंगवाया।
अक्सर मानव जीवन में यह देखने को मिलता है चाहे वह कोई काम काज में हो या सामान्य जीवन में यदि हमें किसी का काम करके कोई पैसा मिलता है तो हम पैसे तो पूरा लेते है फिर भी हम दुसरे को कम देने की कोसिस करते है।
हमें हमेशा चाहे कोई भी व्यक्ति हो, कैसे भी स्थिति में हो उनके बारे में अच्छा सोचना चाहिए।
आशा है मोटिवेशनल कहानी छोटी सी पसंद आई होगी आगे और भी Motivational Kahani in Hindi लिखी गयी है जिससे जीवन के आचरण की सिक्षा मिलती है।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में हमने 15+ जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी इन हिंदी बताये है जो विद्यार्थी, कामकाजी व्यक्ति और बड़े व्यक्ति सभी के लिए है। आशा है Short Moral & Motivational Stories In Hindi For Kids, Student and Success का यह आर्टिकल की सिक्षा से भरी कहानियां आपको पसंद आई होगी.